चुनावी टीमें और राजनीति (Political Teams and Their Politics)


जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, सभी राजनीतिक पार्टियां अपने वोट बैंक को भरने के लिए तैयार हो रही हैं। कई पार्टियां अपनी चुनावी टीम की घोषणा कर चुकी हैं, कई करने वाली है। लेकिन मतदाता किसी भी पार्टी में आवश्यक विश्वास नही कर पा रहा है। चाहे वो आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल की टीम हो या कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी की टीम या फिर राजस्थान में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कुछ दिन पहले घोषित की गई बीजेपी लीडर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की टीम। हमेशा "नयी टीम" के नाम से घोषणा की जाती है, लेकिन टीम में पद पाने वाले नेता पुराने ही होते हैं, उनमे कोई भी नया चेहरा देखने को नहीं मिलता और कभी मिल भी जाये तो वो किसी की सिफ़ारिश से आया होता है। टीम में मौजूद हर सदस्य को यह देखकर नहीं लिया जाता कि उसकी योग्यता क्या है, बल्कि यह देखकर लिया जाता है कि उसकी जमीनी ताकत कितनी है, या फिर किसी ताकतवर नेता तक उसकी पहुँच हो। ऐसा होने के कारण पार्टी का सच्चा कार्यकर्ता निराश होता है, उसकी आत्मा को ठेस पहुँचती है। अगर टीम सही तरीके से चुननी हो तो मेरा सुझाव है कि इसके लिए भी कार्यकर्ताओं में चुनाव होना चाहिए कि कौन मंत्री होगा, कौन महामंत्री, कौन अध्यक्ष और कौन उपाध्यक्ष इत्यादि।
इससे कार्यकर्ताओं में पार्टी के प्रति विश्वास बढेगा और वो ज्यादा समर्पण के साथ पार्टी के लिए काम कर पाएंगे। कार्यकर्ताओं को लगेगा की उनके साथ न्याय हुआ है।  ऐसा होने से मतदाताओं की नजर में भी पार्टी के प्रति सकारात्मक रवैया रहेगा। वही पार्टी मतदाता का जरुरी विश्वास हासिल करने में सफल होगी जो इस प्रकार की किसी पद्दति से काम करे। ऐसा होने पर विधानसभा और लोकसभा के चुनाव की टिकटों का वितरण भी सही होने की सम्भावना रहेगी और जनता की पसंद का नेता चुनकर आएगा। भ्रष्टाचार, कालाधन और मर्डर के केस में फंसे नेताओं पर कार्यवाही होगी और देश में एक सुराज स्थापित होगा। यही हम सब भारतवासियों की उम्मीद है।

जय हिन्द ! 



भगवत सिंह राठौड़ 
जसोल, राजस्थान
 
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