अनुराग सरस भरा मन में ,
ममता की मूरत उसके तन में
हर राह पर चलती है वो संग
हर पथ पर बरसाती पुष्प के रंग
दृघ भरे हैं कान्ति के संगीत,
खिलखिलाती कमलिनी-सम रंगीन
हर उसकी मुस्कराहट, मानो मन मोहित ;
उसके मानस में सदैव, स्नेह आसीत ||
कठिन, दुर्लभ पथ में रहे नित उसका साथ,
कभी न छोड़े मेरा हाथ,
ख़ुशी अथवा प्रेम के मिलन से बनती हैं मेरी माँ ,
ख़ुशी अथवा प्रेम के मिलन से बनती हैं मेरी माँ ||
- अक्षय ठाकुर
जोगिन्दर नगर , हिमाचल प्रदेश