संसद पर हमले के मुख्य आरोपी अफ़जल गुरु की फाँसी होने से पहले भी राजनीति होती रही है, और अब फाँसी हो जाने के बाद भी जारी है। राजनीतिक पार्टियां अपने वोट बैंक भरने के लिये भिन्न-भिन्न हथकंडे अपनाती है। अफ़जल गुरु के चुपचाप अंतिम संस्कार पर शरद यादव जी को दुःख है। मैं पूछना चाहता हूँ इन नेतओं से कि दामिनी के चुपचाप अंतिम संस्कार के वक़्त ये लोग कहाँ थे? ये तो ऐसे लगता है कि जैसे संसद पर हमला अफ़जल ने नहीं दामिनी ने किया था, और दिल्ली गैंग रेप का पीड़ित अफ़जल हो! देश के प्रख्यात विश्वविद्यालय "अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी" के छात्र, अफजल गुरु की फाँसी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं,और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और साध्वी प्रज्ञा की फाँसी की मांग कर रहे हैं। वहीँ अगर हम आंकड़ों की सच्चाई की ओर देखें जहाँ अभी गुजरात में स्थानीय निकाय चुनाव हुए, जिसमें बीजेपी को जबरदस्त सफलता मिली है। 90% मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्र जामनगर में बीजेपी के सभी उम्मीदवार जीत गये। इन आंकड़ों से हम इतना अंदाजा तो लगा ही सकते हैं कि नरेन्द्र मोदी की छवि एंटी-मुस्लिम तो नही है। तो फिर देश के ये पढ़े लिखे युवा क्यों एक आतंकवादी को सपोर्ट कर रहे हैं जबकि नरेन्द्र मोदी जैसे इंसान पर आरोप लगा रहे हैं!
दूसरी ओर कश्मीर में भी अफजल की फाँसी का विरोध चल रहा है। कश्मीर के इन हालतों पर केंद्रीय सरकार का कोई बयान नहीं आया है। पता नहीं सरकार कश्मीर को भारत का अंग मानती भी है या नहीं। हम अपने ही देश के एक राज्य में अपना राष्ट्रीय ध्वज न फहरायें, तो ये देश की एकता, अखंडता,समानता, स्वाभिमान और मुख्यता देश की स्वतंत्रता पर कलंक के समान है। हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के दिन प्रधानमंत्री महोदय अपने भाषण में कश्मीर का जिक्र करते हुये यह पंक्ति अवश्य दोहराते हैं कि ,"कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।" यह पंक्ति दोहराते-दोहराते 66 वर्ष हो गये हैं पर अब भी कश्मीर में तिरंगा फहराने से कतराते हैं। बार-बार कोई झूठ भी दोहराएँ तो सच लगने लगता है। फिर ये तो सच ही था और है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, तो फिर क्यों डरते हो जिहाद के नाम पर आतंक फ़ैलाने वालों की कोरी धमकियों से? क्यों डरते हो जाति, धर्म, और मजहब के नाम पर चुनाव लड़ने वाले नेताओं की खोखली धमकियों से? अगर देश में राजनीतिक पार्टियों को लोकतंत्र को मजबूत करना है तो इन धर्म के नाम पर, मजहब के नाम पर कानून व्यवस्था बिगाड़ने की धमकी देने वाले नेताओं की धमकी से ऊपर उठकर देशहित में सही और कड़े कदम उठाने में देरी नहीं करनी चाहिए। तभी देश निर्बाध रूप से प्रगति की राह पर चलेगा।
जय हिन्द।
भगवत सिंह राठौड़
जसोल,राजस्थान